दोस्ती के अल्फाज़ बदलते चले गए,
दोस्ती से परे वो मोहब्बत कर बैठे,सिलसिलो के बीच वो सवाल तो कितने हुए,
और जवाब के इंतज़ार में वो खुद ही एक सवाल बन गए ।
ख्यालो में ढूंढ़ते थे उन्हें अब तो ख्याल आने भी बंद हो गए,
हर पल को यादो में समेटते चले गए ,
हर लम्हा उन्ही के इंतज़ार में बीतते चले गए,
तन्हाइयों और यादों के साथ एक अन्होने से सफ़र पे निकल पड़े,
अन्होने से सफ़र के दरमियाँ बीते लम्हों को याद करते वो खुद से मिल गए ।