Tuesday, 2 October 2012

दिल मतवाला हो उठता है !!!

मिले वो कुछ लम्हों के लिए, अब हर लम्हां उन्ही के साथ बिताने को दिल करता है,
आते है जो वो याद तो दिल देखने को तड़प उठता है .
जो आये वो सपनो में तो हकीकत में रूबरू होने को दिल करता है,
रहे वो हमेशा दूर, पर दिल करीब जाने को उतावाला हो उठता है।

आते हैं जो सामने से वो, दिल देखते रहने को करता है ,
मिलती हैं जो आखें तो उन्ही में डूब जाने को दिल करता है ,
आते हैं वो जो नजदीक, दिल ये लापरवाह हो उठता है,
हो जाए कुछ ऐसा तो दिल मतवाला हो उठता है ।

चाहत हुई उनसे और वो दूर चले गए, पर ये दिल उन्ही से मोहब्बत करता है ,
चाहत की नाज़कात तो देखो, दिल दूर से ही खुश हो उठता है,
नहीं करनी चाहिए किसी अज्नाबी से मोहब्बत पर ये दिल उन्ही अज्नाबियों से मोहब्बत कर बैठता है ,
खवाब जैसा लगता है, दिल तो अब खवाब में  ही जीने को करता है ।


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