माई रे
अब किसे कहूंगा माई रे
होश संभाला उसकी गोद में ,
कहानियां सुना और सोया उसकी आँचल में
कभी डांट पड़ी तो कभी बहुत प्यार दिया बड़ा हुआ उसके साये में ,
बहार से जब भी आता बस सिमट सा जाता उसकी गोद में
देख न पाती तो कॉल क्र लेती सिर्फ में एक आवाज क लिए , उसके आशीर्वाद के लिए
बस अब तो ये कुछ भी न रहा , अब रह गयी वो सिर्फ याद में
पर ये मन तो अब भी पूछताकर है , अब किसे कहूंगा माई रे
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