Wednesday, 3 October 2018

माई रे

माई रे
अब  किसे कहूंगा माई रे 
होश  संभाला उसकी गोद में , 
कहानियां  सुना और सोया उसकी आँचल में  
कभी डांट  पड़ी तो कभी  बहुत प्यार दिया बड़ा हुआ उसके साये में ,
बहार से जब भी आता बस सिमट सा जाता उसकी गोद  में 
देख न पाती  तो  कॉल क्र लेती सिर्फ में एक आवाज क लिए , उसके आशीर्वाद के लिए 
बस अब तो ये कुछ भी न रहा , अब रह गयी  वो सिर्फ याद में 
पर ये मन तो अब  भी पूछताकर  है , अब किसे कहूंगा माई रे 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.